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संपूर्ण पवित्र,16 कला संपूर्ण एवं मर्यादा पुरुषोत्तम सतयुग के प्रथम प्रिंस श्री कृष्ण: ब्रह्मकुमारी कृष्णा दीदी

संपूर्ण पवित्र,16 कला संपूर्ण एवं मर्यादा पुरुषोत्तम सतयुग के प्रथम प्रिंस श्री कृष्ण: ब्रह्मकुमारी कृष्णा दीदी



मुरैना। प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की ब्रह्माकुमारी पाठशाला रामनगर में जन्माष्टमी महोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया गया। ब्रह्माकुमारी कृष्णा दीदी ने जन्माष्टमी का आध्यात्मिक रहस्य  बताया कि अब निकट भविष्य में पुन: श्री कृष्ण का राज्य आने वाला है। कुछ ही समय पश्चात यह भारत स्वर्ग बनने जा रहा है। श्री कृष्ण का जन्म होने वाला है। क्योंकि शास्त्रों में बताया भी जाता है कि श्री कृष्ण का जन्म जब घनघोर बारिश हो रही थी। कलयुगी अंधेरी रात थी और पीपल के पत्ते पर तैरते हुए श्री कृष्णा आ रहे हैं। इसका आध्यात्मिक रहस्य है कि इस संसार रूपी वृक्ष का प्रथम पत्ता अथवा प्रथम राजकुमार श्रीकृष्ण ही बनते हैं। वही इस सतयुगी सृष्टि भारत देश के महाराजा बनते हैं। भारत में फिर पुन: देवी-देवताओं का साम्राज्य स्थापित होता है तो अब निकट भविष्य में श्री कृष्ण राधे का ही राज्य आने वाला है। यह परमात्मा शिव भगवान का गुप्त कार्य है जो चल रहा है। इसीलिए कहा भी जाता है कि सभी द्वारपाल सो गए थे अर्थात सभी अज्ञान नींद में सोए हुए होंगे और कृष्ण का जन्म होता है। इस कलयुगी संसार में श्री कृष्ण का जन्म कब होता है। कोई मनुष्य समझ नहीं पाते हैं और गुप्त रीति वह बड़े होकर अपनी द्वारिका की स्थापना करते हैं जो बिल्कुल ही गुप्त तरीके से शास्त्रों में भी बताया गया है। कृष्ण और राधा ही स्वयंवर के बाद श्रीलक्ष्मी श्रीनारायण का पद प्राप्त करते हैं। इस संसार के विश्व महाराजा व विश्व महारानी बनकर सतयुगी राज्य चलाते हैं। इसीलिए आप देखेंगे कि मंदिरों में हमेशा श्री कृष्ण का बाल रूप दिखाते हैं। लेकिन श्रीलक्ष्मी व श्रीनारायण का कभी बालरूप नहीं दिखाया जाता। उन्हें हमेशा बड़े रूप में ही दिखाया जाता है। यही मुख्य बात है कि श्री कृष्ण राधे ही स्वयंवर के बाद उनके नाम परिवर्तित होकर श्री लक्ष्मी और श्री नारायण रखा जाता है। गुप्तेश्वर परमात्मा शिव बाबा ने स्वर्ग की स्थापना का कार्य गुप्त रीति पूरा कर चुके हैं और निकट भविष्य में पुन सतयुगी दुनिया आ रही है। भारत पुन: सोने की चिड़िया बनने जा रहा है। श्रीकृष्ण जयंती पर यही ईश्वरीय सन्देश है की श्रीकृष्ण के अंदर जो मूल्य और विशेषताएं है। उन्हें अपने जीवन में उतारने का प्रयास किया जाए तथा गीता में वर्णित मनुष्य के अंदर छिपे शत्रुओं का नाश करें तभी छोटी मोटी बातों के लिए जो हर घर में महाभारत चल रहा है। उसे समाप्त कर सकेंगे और तभी श्रीकृष्ण जयंती का पर्व सार्थक हो सकेगा। इस कार्यक्रम में सुंदर श्री कृष्ण की झांकी लगाई गई और नन्हे मुन्ने बच्चों ने सुंदर बाल कृष्ण लीला प्रस्तुत की। इस कार्यक्रम में समाज सेविका हेमा अग्रवाल, सुमित दुबे, रामकरण रिटायर करनल (सैनिक डिफेंस एकेडमी संचालक), ब्रह्माकुमारी निकेता दीदी, ब्रह्माकुमारी पावनी दीदी, ब्रह्माकुमार नीतेश, शुभम, अलख पाल, संजय, रघुवर, रामअवतार, योगेंद्र, राकेश माहेश्वरी उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम में 300 भाई बहनों ने भाग लिया।  

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